शादी को दो साल हो चुके है, अब तो 2 माह की पारी भी है, और 'वो' भी ठीक-ठाक है। गलतियों पर समझा देते है और कुछ अच्छा हुआ तो हंस भी देते है। उनमे दिखावा नहीं है, और जहाँ दिखावा नहीं वहां कोई फरमाइशें भी नही। ज़िन्दगी सुकून से कट रही है। दिन भर काम-काज में निकला जाता है और रात बिस्तर में। वैसे तो सारी ख़ुशी ऊपर वाले ने दे दी है, इनको मेरी ज़िन्दगी में भेज कर। लेकिन कभी-कभी तुम्हारा ख्याल जेहन में आ ही जाता है, कि तुम होते तो शायद खुशियाँ दो गुनी हो जाती
ये भी मेरा उतना ही ख्याल रखते है, जितना तुम रखते थे, फर्क सिर्फ इतना है कि इनको प्यार जताना आता है और तुमको नहीं। तुम तो कई-कई महीनो गाएब रहते थे, न फ़ोन न मैसेज। जब भी तुमसे मिलने का मन करता था तो मंदिर में जेक बैठ जाया करती थी, और उस पत्थर की मूरत में तुम्हारा प्रतिबिम्ब देखकर खुश हो जाया करती थी। मेरे लिए तो तुम्ही मेरे भगवान् थे। और फिर एक दिन पापा एक लड़के की तस्वीर हाथों में थमा के बोले ''लड़का अच्छा है।'' मै भी कुछ विरोध न कर सकी, उस रात मै सो न सकी, सारी रात रोती रही और बार-बार दरवाज़े की तरफ देखती कि काश कहीं से तुम आ जाओ और मुझे यहाँ से ले जाओ। मैंने भी हालात से समझौता कर लिया और अगली सुबह नम आखें लिए हुए माँ को अपना जवाब दे दिया।
अब जब मै उन दिनों के बारे में सोचती हूँ तो लगता है कहीं न कहीं मैंने ठीक ही किया था, तुम्हारे भरोसे और तुम्हारे इंतज़ार में मै अपनी सारी ज़िन्दगी नहीं काट सकती थी। लेकिन रह-रह कर तुम्हारा ख्याल जेहन में आता रहा, कि तुम कैसे होगे? कहाँ होगे? और पारी के आने के बाद ख्याल जैसे धुंधले पड़ने लगे। मेरी सहेली तुम्हारे बारे में बिल्कुल ठीक कहती थी, कि जो लड़का खुद का ख्याल न रख सके वो तुम्हारा क्या रखेगा, और मै उसकी इस बात से उलझ कर रह जाती थी। कि कोई इतना लापरवाह कैसे हो सकता है, कभी-कभी मुझे लगता है कि हमारे बीच जो कुछ भी था, बस एक आकर्षण था, तुम मेरी तरफ और मै तुम्हारी तरफ बेबस ही खिचती चली गयी।
आज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी, इसलिए घर के पास वाले मंदिर गयी थी, काफी देर बैठी रही, लेकिन सुकून नहीं मिला, शायद वक़्त के साथ-साथ तस्वीर भी धुंधली हो गयी है। उम्मीद करती हूँ कि तुम आज कहीं अच्छी जगह होगे, और सुकून की ज़िन्दगी जी रहे होगे, पता नहीं तुम्हे मेरा ख्याल आता भी होगा या नहीं। कहीं न कहीं ये हमारे प्यार की जीत है, जो मै आज भी तुम्हे याद करती हूँ, लेकिन अपनी इस जीत पर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूँ। काश एक बार तुमसे मिलकर तुम्हे जी भर कर देख लूँ, मानती हूँ कि ये गलत है, मै शादी-शुदा हूँ और शायद तुमने भी शादी कर ली होगी, लेकिन फिर भी जो तस्वीरे वक़्त के साथ धुंधली हो गयी है, वो फिर से ताज़ा हो जाएँगी।