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Tuesday 25 September 2012

काश......!!!

कॉलेज के इलेक्शन के टाम पर देखा था, लम्बा कद, क्लीन शेव चेहरा, सुडौल कद-काठी, शायद अपने ग्रुप को कुछ समझा रहा था, सच में देखते ही कुछ अजीब सा हुआ, बैनरो और पमप्लेटो से उसका नाम पता चला |
तीन-चार रोज़ बाद वो अचानक मेरे सामने खड़ा था, दिल धक्क से हो गया, क्या बात करुँगी मैं इससे, मैं इतना सोच ही पाई थी की वो अपना पमप्लेट मुझे दे कर चला गया, मैं सिर्फ आहें भर कर रह गयी थी,  कॉलेज आते-जाते कई मर्तबा उस से नज़रे मिलती थी, वो भी हाय बोलता, मैं भी हेल्लो.. बोल के रुक जाती, कभी फुर्सत से बात नहीं हुई, लेकिन दिन में एक बार उसको देख लेना अच्छा लगता था, वो भी दिन की शुरुआत में, ये तो और गुदगुदाता था, कोशिश कई बार की, कि उससे बात करूँ, लेकिन उसके आस-पास जमावड़ा इतना होता कि हिम्मत ही टूट जाती, कई बार तो एक्सईटमेंट में उपर वाले से दुआ भी मांग ली, ''ये अकेला कब मिलेगा...?'' इलेक्शन हो चुके थे, परिणाम आ गया था, लेकिन ये क्या..? नतीजा बिलकुल उलट था वो इलेक्शन नहीं जीत सका | कुछ रोज़ बाद मैंने उसे अकेले बैठे देखा, एक पल तो में खुश हो गयी  लगा कि भगवान् ने मेरी सुन ली, लेकिन दुसरे ही पल दुःख भी हुआ, दुआ कबूल होनी थी लेकिन ऐसे नहीं | खैर मैंने उसे देख हाय बोला उसने भी हाय का जवाब अच्छे से दिया, हम मिले, दो काफी आर्डर की, लेकिन मैं अब भी अपने दिल की बात नहीं बोल पा रही थी, शायद लड़की थी इसलिए |
तभी उसका फ़ोन बजा, शायद किसी लड़की का था, निखिल ने उसे अपनी गर्लफ्रेंड बताया और मुझे बाय बोल कर चला गया, मैं तो कुछ देर वहां ऐसे ही बैठी रही अपना एकतरफ़ा प्यार अपने पास लिए |
बहुत अच्छा एहसास था वो, कि किसी के प्यार में होना, उसके बारे में सोचना, उसकी बातें करना | जो, सच पूछिए तो सब बिखर गए थे, आँखों से आंसू क्यूँ नहीं आये ये आज तक समझ नहीं आया | शायद एकतरफा था इसलिए | खैर कुछ भी हो, लेकिन हम आज भी मिलते है, वैसी ही हाय-हेल्लो होती है, इस बार वो फिर से इलेक्शन में खड़ा हो रहा है | अब वो फिर से जमावड़े के बीच में खड़ा है, लेकिन अब इच्छा नहीं कि  ''काश ये अकेला मिले......!!!''

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